फर्रुखाबाद

विद्यालय की जर्जर बिल्डिंग में छात्र पढ़ने को मजबूर हो सकता है कभी भी बड़ा हादसा

फर्रुखाबाद

विकासखंड शमशाबाद
शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों की लापरवाही के चलते कृषक जनता जूनियर हाई स्कूल नगला सेठ सफेद हाथी बना खंडहर में तब्दील विद्यालय में अभिभावक छात्र छात्राओं को भेजने को तैयार नहीं तनख्वाह पाने के लिए शिक्षक घर-घर छात्र छात्राओं का पंजीकरण करने को मजबूर इसे शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अधिकारियों की लापरवाही कहे तो ज्यादा बेहतर होगा क्योंकि एक तरफ सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लाखों करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही बही दूसरी ओर शहर से लेकर गांव गांव तक गरीब मजदूर किसान सभी के बच्चे शिक्षित हो सके लगभग सभी बुनियादी सुविधाएं निशुल्क उपलब्ध करा रही खाने के लिए मध्यान भोजन पहनने के लिए ड्रेस जूते मोजे शिक्षण कार्य के लिए निशुल्क पाठ पुस्तक भी निशुल्क उपलब्ध करा रही इतना ही नहीं समय समय पर छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति के रूप में हजारो रुपए भी दे रही ताकि शिक्षा के साथ छात्रों का विकास हो चुके एक गरीब का बेटा भी पढ़कर शिक्षित हो सके अफसोस शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही साफ देखी जा रही इसका उदाहरण भी विकासखंड शमशाबाद क्षेत्र के ग्राम नगला सेठ में देखने को मिला जहां स्थित कृषक जनता जूनियर हाई स्कूल विद्यालय में कुछ ऐसे ही हालात देखे गए सोमवार को पहुंचे हमारे समाचार पत्र के प्रतिनिधि ने जब उक्त विद्यालय का नजारा बाहर से अंदर का देखा तो दंग रह गया क्योंकि विद्यालय के हालात बेहद गंभीर थे पूछताछ के दौरान प्रधानाचार्य अजय कुमार ने बताया विद्यालय में पंजीकृत छात्रों की संख्या 28 जबकि आधा दर्जन विद्यालय के अंदर छात्र नहीं था विद्यालय के गेट पर दो व्यक्ति बैठे हुए थे जब जानकारी की गई तो बताया बो विद्यालय में वर्ष 2000 से कार्यरत है ब्रेमन में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत है विद्यालय में छात्र नहीं इस पर प्रधानाचार्य बगले झांकते नजर आए विद्यालय के हालात अजीब थे मुख्य गेट से अंदर का नजारा अजीब था छात्र-छात्राओं के लिए क्लासरूम बनाए गए थे बो जर्जर थे किसी कमरे के ऊपर टीन शेड पड़ा था तो किसी की ईट बाहर निकली हुई थी क्लासरूम इतने जर्जर थे अंदर बैठना शायद मौत को आमंत्रण देने के बराबर था हालातो को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे विद्यालय में एक लंबे समय से छात्र छात्राओं का आना नहीं हो रहा हो। विद्यालय की देखरख के लिए शायद शिक्षकों तथा कुछ ग्रामीणों को को जिम्मेदारियां दी गई थी विद्यालय में प्राथमिक स्कूल से जूनियर हाईस्कूल जिसमें आधा दर्शन शिक्षक बताए गए जिसमें मृतक आश्रित भी है।उक्त विद्यालय ग्रामीणों की नजर में हाथी साबित हो रहा जर्जर विद्यालय में शायद कोई भी ग्रामीण बच्चों को नहीं भेजना चाहता विद्यालय की व्यवस्थाएं खराब है कि वहां कोई भी छात्र शिक्षक कार्य के लिए जानामुनसिफ नहीं समझता कई ग्रामीणों ने नाम नहीं छपने की शर्त पर बताया उक्त विद्यालय काफी पुराना है छात्र-छात्राओं के बैठने की कोई समुचित व्यवस्था नहीं कमरे जर्जर हैं और धीरे धीरे खंडहर में तब्दील हो रहे हैं। कुछ कमरों के ऊपर लेंटर नहीं टीन शेड हैं भीषण गर्मी के दौर में टीन शेड के नीचे बैठना दुश्वार है कमरों के अंदर बैठना अर्थात मौत को दावत देने के समान है शायद यही कारण है कोई भी अभिभावक बच्चों को शिक्षा रुपी खंडहर भबन में भेजना मुनासिब नहीं समझता ग्रामीणों के अनुसार उक्त विद्यालयों जिसे कभी भी छात्रबिहीन अवस्था में देखा जा सकता है। ग्रामीणों को आशंकाएं शिक्षा विभाग तथा प्रशासनिक स्तर पर विद्यालय को लगभग सभी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जा रही के बाबजूद भी विद्यालय बदहाली का शिकार बन हुआ है।

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